" लक्ष्मी पुण्याई से मिलती है | मेहनत से मिलती हो तो मजदूरों के पास क्यों नहीं ? बुद्दी से मिलती हो तो पंडितो के पास क्यों नहीं ?जिन्दगी मैं अच्छी संतान ,सम्पति और सफलता पुण्य मिलती है | अगर आप चाहते हैं की आपका इहलोक और परलोक सुखमय रहे तो पुरे दिन में कम से कम दो पुण्य जरुर करिए | क्योकि जिन्दगी में सुख , सम्पति और सफलता पुण्याई से मिलती हैं | " |
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" संसार में अड़चन और परेशानी न आये -यह कैसे हो सकता हैं | सफ्ताह मे एक दिन रविवार का भी तो आएगा ना | प्रक्रति का नियम ही ऐसा है की जिन्दगी मे जितना सुख -दुःख मिलना है ,वह मिलता ही है | मिलेगा भी क्यों नहीं , टेंडर मे जो भरोगे वाही तो खुलेगा | मीठे के साथ नमकीन जरुरी है तो सुख के साथ दुःख का होना भी लाजमी है | दुःख बड़े कम की चीज है | जिन्दगी मे अगर दुःख न हो तो कोई प्रभु को याद ही न करे | " |
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" दुनिया मे रहते हुए दो चीजो को कभी नहीं भूलना चाहिए | न भूलने वाली चीज एक तो परमात्मा तथा दूसरी अपनी मौत | भूलने वाली दो बातो मे एक है - तुमने किसी का भला किया तो उसे तुरन्त भूल जाओ | और दूसरी किसी ने तुम्हारे साथ अगर कभी कुछ बुरा भी कर दिया तो उसे तुरन्त भूल जाओ | बस, दुनिया मे ये दो बाते याद रखने और भूल जाने जैसी है | |
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" जैनियों के पास महावीर स्वामी का बढ़िया मॉल लेकिन पेकिंग घटिया है जबकि जमाना पेकिंग का है | जैन समाज या तो अपने मंदिरों के दरवाजे जन-जन के खोले या फिर महावीर को मंदिरों की दीवारों से निकालकर आम आदमी तक लाए, चोराहे तक लाए | चोराहे पर लाने से मेरा यह कहेना कतई नहीं है की मे मर्यादाओ से खेल रहा हू | मेरा तात्पर्य भगवान महावीर और उनके सन्देश को जन-जन के बीच ले जाने का है | " |
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" मनुस्य जाती मे दो पूरानी बुराइया है | एक ताने मारने और दूसरी आँख मारने की | पुरुस अगर ताने मरना और महिलाये आँख मारना बंद कर दे तो जीवन और समाज के आधे संघर्स ख़त्म हो जाये | अस्त्र - सस्त्र से अब तक जितने लोग नहीं मरे होंगे उससे भी अधिक लोग ताने और आँख मारने से मर चुके है | बस , अपनी आँखों और जुबान को संभल लो , सब कुछ संभल जायेगा | आँख और जुबान बड़ी नालायक है क्योंकि साडी गड़बड़िया इन्ही से शुरु होती है | “ |
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" मरने वाला मर कर स्वर्ग गया है या नर्क ? अगर कोई यह जानना चाहता है तो इसके लिए किसी संत या ज्योतिषी से मिलने की जरुरत नहीं है , बल्कि उसकी सवयात्रा मे होने वाली बातो को गौर से सुनने की जरुरत है | यदि लोग कह रहे हो कि बहुत अच्छा आदमी था | अभी तो उसकी देस व समाज को बड़ी जरुरत थी , जल्दी चल बसा तो समजना कि व स्वर्ग गया है | और यदि लोग कह रहे हो कि अच्छा हुआ धरती का एक पाप तो कम हुआ तो समजना कि मरने वाला नर्क गया है | " ी से शुरु होती है | “ |
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" सूर्योदयके साथ ही बिस्तर छोड़ देना चाहिए , ऐसा न करने से सिर पर पाप चढ़ता है | महिलाये जो की घर की लक्ष्मी है , इन लक्स्मियो को सूर्योदय के साथ ही उठ जाना चाहिए | लक्स्मन थोड़ी देर मे उठे तो एक बार चल जायेगा , पर लक्ष्मी का देर से उठना बिलकुल नहीं चलेगा | जिन घर - परिवारों मे लक्स्मन के साथ लक्ष्मी भी देर सुबह तक सोई पड़ी रहती है उन घरो की ' असली - लक्ष्मी ' रूठ जाया करती है | और घर छोड़कर चली जाया करती है | " |
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" आज जैन समाज के सामने अपने को शाकाहारी बनाये रखने की सबसे बड़ी चुनोती है | महावीर के मोक्ष के बाद इन २५०० वर्षो मई जैन समाज कई बार बटा है | और बटवारा कभी दिगम्बर जैन -श्वेताम्बर जैन के नाम से तो कभी तेरापंथी जैन - बीसपंथी जैन के नाम से हुआ है | मगर अब जो बटवारा होगा वह दिगम्बर जैन - श्वेताम्बर जैन , तेरापंथी जैन - बीसपंथी जैन , स्थानकवासी जैन और मंदिरमार्गी जैन जैसे नाम से नहीं होंगा बल्कि 'शाहाकारी- जैन 'और ' मान्शाहारी - जैन ' के नाम से होंगा | अगर ऐसा हुआ तो याद रखना महावीर हमें कभी क्षमा नहीं करेंगे | " चली जाया करती है | " |
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" आज जैन समाज के सामने अपने को शाकाहारी बनाये रखने की सबसे बड़ी चुनोती है | महावीर के मोक्ष के बाद इन २५०० वर्षो मई जैन समाज कई बार बटा है | और बटवारा कभी दिगम्बर जैन -श्वेताम्बर जैन के नाम से तो कभी तेरापंथी जैन - बीसपंथी जैन के नाम से हुआ है | मगर अब जो बटवारा होगा वह दिगम्बर जैन - श्वेताम्बर जैन , तेरापंथी जैन - बीसपंथी जैन , स्थानकवासी जैन और मंदिरमार्गी जैन जैसे नाम से नहीं होंगा बल्कि 'शाहाकारी- जैन 'और ' मान्शाहारी - जैन ' के नाम से होंगा | अगर ऐसा हुआ तो याद रखना महावीर हमें कभी क्षमा नहीं करेंगे | " |
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" माँ - बाप की आँखों मे दो बार ही आंसू आते है | एक तो लड़की घर छोड़े तब और दूसरा लड़का मुह मोड़े तब | पत्नी पसंद से मिल सकती है | मगर माँ तो पुण्य से ही मिलती है | इसलिए पसंद से मिलने वाली के लिए पुण्य से मिलने वाली को मत ठुकरा देना | जब तू छोटा था तो माँ की शय्यां गीली रखता था , अब बड़ा हुआ तो माँ की आँख गीली रखता है | तू कैसा बेटा है ? तूने जब धरती पर पहला साँस लिया तब तेरे माँ - बाप तेरे पास थे | अब तेरा फ़र्ज़ है की माता - पिता जब अंतिम सांस ले तब तू उनके पास रहे | " |
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" दान देना उधार देने के समान है | देना सीखो क्योंकि जो देता है वह देवता है और जो रखता है वह राक्षक | ज्ञानी तो इशारे से ही देने को तेयार हो जाता है मगर नीच लोग गन्ने की तरह कूटने- पीटने के बाद ही देने को राजी होते है | जब तुम्हारे मन में देने का भाव जागे तो समजना पुण्य का समय आया है | अपने होश - हवास में कुछ दान दे डालो क्योंकि जो दे दिया जाता वह सोना हो जाता है और जो बचा लिया जाता है वह मिट्टी हो जाता है | भिखारी भी भीख में मिली हुई रोटी तभी खाए जब उसका एक टुकड़ा कीड़े - मकोड़े को डाल दे| अगर वह ऐसा नहीं करता तो सात जन्मो तक भिखारी ही रहेगा | " |
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" पैसा कमाने के लिए कलेजा चाहिए | मगर दान करने के लिए उससे भी बड़ा कलेजा चाहिए | दुनिया कहती है की पैसा तो हाथ का मेल है | मैं पैसे को ऐसी गाली कभी नहीं दूंगा | जीवन और जगत मे पैसे का अपना मूल्य है , जिसे जुट्लाया नहीं जा सकता | यह भी सही है की जीवन मे पैसा कुछ हो सकता है , कुछ -कुछ भी हो सकता है , और बहुत -कुछ भी हो सकता है मगर 'सब-कुछ'कभी नहीं हो सकता | और जो लोग पैसे को ही सब कुछ मन लेते है वे पैसे के खातिर अपनी आत्मा को बेचेने के लिए भी तेयार हो जाते है | " कोई भी सुरक्षा मनुष्य को मौत से नहीं बचा सकती। मौत के आगे सुरक्षा भी फेल हो जाती है। हम अपने जीवन की रक्षा के लिए भले ही कितने सुरक्षा कर्मचारी तैनात कर लें लेकिन वे मौत से नहीं बचा सकते। बाहरी सुरक्षाकर्मी कुछ नहीं कर सकते। * हमें वास्तव में यदि मौत से बचना है, तो केवल आपके द्वारा किए गए पुण्य कार्य ही उसे आने से रोक सकते हैं। हमेशा अच्छे कार्यों का श्रेय बड़ों को दें तथा त्रुटियों के लिए स्वयं को जिम्मेदार ठहराएं। * जिस प्रकार पशु को घास तथा मनुष्य को आहार के रूप में अन्न की आवश्यकता होती है, उसी प्रकार भगवान को भावना की जरूरत होती है। प्रार्थना में उपयोग किए जा रहे शब्द महत्वपूर्ण नहीं बल्कि भक्त के भाव महत्वपूर्ण होते हैं। * लोग दुनिया का कल्याण तो चाहते हैं, लेकिन पहले स्वयं अपना। शराब से ज्यादा नशा धन का होता है। शराब का नशा तो दो-चार घंटे बाद ही उतर जाता है, लेकिन धन का नशा तो जिंदगी बर्बाद करने के बाद ही उतरता है। * धन का अहंकार रखने वाले हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि पैसा कुछ भी हो सकता है, बहुत कुछ हो सकता है, लेकिन सब कुछ नहीं हो सकता। हर आदमी को धन की अहमियत समझना बहुत जरूरी है। * धनाढ्य होने के बाद भी यदि लालच और पैसों का मोह है, तो उससे बड़ा गरीब और कोई नहीं हो सकता है। प्रत्येक व्यक्ति 'लाभ' की कामना करता है, लेकिन उसका विपरीत शब्द अर्थात 'भला' करने से दूर भागता है। * वास्तव में 'होटल' का अर्थ 'वहां से टल' जाना ही समझना चाहिए। शाकाहार का पालन करने वालों को चाहिए कि कभी भी उस होटल में भोजन मत करो जहां मांसाहारी भोजन भी बनता हो। वैसे भी घर में पका भोजन ही श्रेष्ठ होता है क्योंकि उसमें वात्सल्य, प्रेम रहता है। अत: हमेशा ही घर में बने भोजन को प्राथमिकता दें। |
HUM HE KAMAL KE
GAM BHALE HI HO ZINDIGI ME MAGAR UDAAS MAT HONA HASTE REHNA ZINDIGI ME HAMESHA KYUKI KHUSI KO DEKH KAR GAM BHAAG JAATA HE KHUSHI KO DEKH KAR
Friday 4 September 2015
REAL WORDS
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